उपचार के दौरान मरे युवक की जांच में मिले कोरोना के संकेत, गोरखपुर से बस्‍ती तक मचा हड़कम्‍प

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान बस्ती के मरीज की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मरीज के थ्रोट स्वाब(गले की लार) की जांच में कोरोना के संकेत मिले हैं। 



बीआरडी मेडिकल कॉलेज और आरएमआरसी की जांच में गले की लार का नमूना रिएक्टिव मिला। इसके बाद हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में इलाज करने वाले डॉक्टर और नमूना लेने वाले दोनों लैब टेक्नीशियन को आइसोलेशन में भेज दिया गया। मेडिसिन वार्ड और आईसीयू को सैनेटाइज किया गया। इस सूचना के बाद वार्ड में तैनात नर्स व वार्ड ब्वॉय सकते में आ गए हैं।


यह है मामला


बस्ती के रहने वाला 25 वर्षीय युवक रविवार को इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज ट्रामा सेंटर पहुंचा था। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। डॉक्टर ने मेडिसिन वार्ड नंबर 14 में भर्ती किया। रात में उसकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे ट्रामा सेंटर के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। इस आईसीयू में कोरोना के संक्रमित मरीज रखे जा रहे हैं। दो दिन पहले इसे कोरोना के आईसीयू के तौर पर घोषित किया गया। सोमवार की सुबह मरीज की मौत हो गई। इसके बाद हड़कंप मच गया। 


जांच में रिएक्टिव मिला सैंपल


एहतियातन माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने मरीज की लार का नमूना जांच के लिए रख लिया। मंगलवार को जांच का नमूना सामने आने के बाद बीआरडी प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। बताया जाता है की जांच का नमूना रिएक्टिव मिला। इस सूचना के बाद अधिकारी हरकत में आए। 


यह है रिएक्टिव


आरएमआरसी कोरोना के सैम्पल की दो चरणों में जांच करता है। पहले चरण में नमूने में से कोरोना फैमली के वायरस की तस्दीक की जाती है। इसे ही रिएक्टिव कहते हैं। दूसरे चरण में कोरोना परिवार के वायरस में से कोविड-19 की पहचान की जाती है। बस्ती के मरीज के नमूने में सिर्फ पहला चरण हुआ। यह पूरी तरह पॉजीटिव नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञों के मुताबिक रिएक्टिव का अर्थ है मरीज के लार के नमूने में कोरोना परिवार के किसी वायरस के संकेत मिले हैं।


रेजीडेंट व लैब तकनीशियन आइसोलेशन में 


मरीज का नमूने रिएक्टिव मिलते हैं कॉलेज प्रशासन ने सबसे पहले इलाज करने वाले मेडिसिन के रेजिडेंट को आइसोलेशन में भेज दिया। उसे दूसरे साथियों से अलग कर दिया गया। उसे हॉस्टल में ही रहने का निर्देश दिया गया है। डॉक्टर ने रविवार की रात मरीज को वेंटीलेटर मशीन लगाने के लिए पाइप डाली थी। वह मरीज के साथ करीब दो घंटे रहा। उसके सारे इलाज के दौरान साथ में ही रहा। अधिकारी मुताबिक सबसे ज्यादा खतरा उसी पर है। उसे आइसोलेशन में रहना होगा। सोमवार को मरीज की मौत के बाद उसके लार का नमूना माइक्रोबायोलॉजी के दो लैब टेक्नीशियन ने निकाला। वह सिर्फ मास्क व ग्लब्स पहने हुए।  मंगलवार को उनको जानकारी दी गई। इसके बाद दोनों को स्नान कराने के बाद आइसोलेशन में रख दिया गया।